सबसे खुशबूदार गोविंदभोग चावल ने खेती….

  • दुनिया की सबसे खुशबूदार गोविंदभोग चावल ने खोली कैमूर के मोकरी गांव के किसानों की किस्मत सैकड़ों बन गए लखपति!
    #आवाज_एक_सामाजिक_पहल#

ONE NEWS LIVE NETWORK

  • एक ऐसा चावल जो जैसे ही चूल्हे की धीमी आंच पर चढ़ता है तो इसका सुगंध मोहल्ले की हर घर में फैल जाता है। खाने के घंटों बाद तक हाथ से आने वाली मनमोहक खुशबू लोगों को प्रसन्न रखती है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरी दुनिया में कैमूर के मोकरी गांव वाले गोविंदभोग चावल में ही इतनी सुगंध पाई जाती है !
पहाड़ों के लिए प्रसिद्ध कैमूर से 10 किलोमीटर दूरी पर बसा हैं मोकरी गांव। विश्व प्रसिद्ध मुंडेश्वरी धाम की गोद में बसे इस गांव के किसानों की किस्मत गोविंद भोग चावल ने बदल दिया। वैसे तो इस चावल की खेती बंगाल बिहार सहित अन्य प्रदेशों में भी करी जाती है और यहां के चावल में जो खुशबू पाई जाती है वो सबसे अलग और बेहतरीन है ‌विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां के खेतों में कैमूर की पहाड़ी से निकल कर परैया नाला गांव पहुंचता है। बरसात के मौसम में पहाड़ से निकले नाले में बहनेवाले पानी के साथ-साथ जड़ी-बुटियों युक्त मिट्टी खेतों तक पहुंचती है।इसी पानी के गुणात्मक प्रभाव से इस गांव के आसपास लगभग सौ हेक्टेयर में उत्पादित होने वाला गोबिंद भोग चावल अपनी खुशबू व स्वाद के लिए एक विशिष्ट पहचान रखता है। जब गोबिंदभोग धान की फसल खेतों में लहलहाती रहती है, तभी से चावल की बुकिंग शुरू हो जाती है, इस चावल के शौकीन देशों के विभिन्न प्रांतों में होने के साथ विदेशों में भी हैं।

पहाड़ों के लिए प्रसिद्ध कैमूर से 10 किलोमीटर दूरी पर बसा हैं मोकरी गांव। विश्व प्रसिद्ध मुंडेश्वरी धाम की गोद में बसे इस गांव के किसानों की किस्मत गोविंद भोग चावल ने बदल दिया। वैसे तो इस चावल की खेती बंगाल बिहार सहित अन्य प्रदेशों में भी करी जाती है और यहां के चावल में जो खुशबू पाई जाती है वो सबसे अलग और बेहतरीन है ‌विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां के खेतों में कैमूर की पहाड़ी से निकल कर परैया नाला गांव पहुंचता है। बरसात के मौसम में पहाड़ से निकले नाले में बहनेवाले पानी के साथ-साथ जड़ी-बुटियों युक्त मिट्टी खेतों तक पहुंचती है।इसी पानी के गुणात्मक प्रभाव से इस गांव के आसपास लगभग सौ हेक्टेयर में उत्पादित होने वाला गोबिंद भोग चावल अपनी खुशबू व स्वाद के लिए एक विशिष्ट पहचान रखता है। जब गोबिंदभोग धान की फसल खेतों में लहलहाती रहती है, तभी से चावल की बुकिंग शुरू हो जाती है, इस चावल के शौकीन देशों के विभिन्न प्रांतों में होने के साथ विदेशों में भी हैं।

चावल उत्पादन का पचास प्रतिशत भाग कोलकता के चावल व्यवसायी ले जाते हैं. यही व्यवसायी इस चावल को विदेशों में निर्यात करते हैं. जिले के बेतरी, बौराई,महसुआ, जहूपुर, सीबो, सारनपुर, कुड़ासन दुमदुम, अरानी, घोड़ासन, निबिसाटांढ आदि गांवों में भी गोबिंदभोग धान की खेती किसानों दूारा की जाती है. परंतु मोकरी गांव के चावल में जो खुशबू पायी जाती है वह कहीं नहीं होती है।

इस चावल की मांग को देखते हुए यहां किसान को-आपरेटिव बना कर बिना किसी बिचौलिये के सीधे उपभोक्ताओं से जुड़कर ज्यादा मुनाफा कमाने की योजना पर काम कर रहे हैं. इसके साथ ही इस पंचायत को निर्मल ग्राम घोषित किया जा चुका है. इससे उत्साहित होकर गोबर गैस प्लांट लगाकर गोबर गैस से गांव को रोशन करने के अलावा खाद का भी इतेमाल करेगी, जिसे चावल का उत्पादन और अधिक होने के साथ स्वास्थ्यवर्धक भी होगा.

वैज्ञानिकों से लेते हैं जानकारी

वैज्ञानिकों के सहयोग के रूप में यहां के किसान समय-समय पर वनवासी सेवा केंद्र अघोरा के कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विज्ञान केंद्र आरा के वैज्ञानिकों से मिलकर जानकारी प्राप्त कर खेती को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं. इन सब के साथ ही धान की फसल में गोबर खाद ,डीपीपी एवं युरिया का इतेमाल उचित मात्र में किया जाता है. जिससे ज्यादा उत्पादन कर खेती को ज्यादा लाभकारी बनाया जा रहा है।
© लवकुश

Comments

Popular posts from this blog

स्वच्छ पर्यावरण, सुरक्षित बिहार जैविक पॉलिथीन प्लांट लगा कर बनें उद्यमी

Coolie No. 1 Available For download MovieRulz in HD quality | MP4 | 720p

बिहार चुनाव की तिथि घोषित