इस वित्त वर्ष भारत की जीडीपी में 9% गिरावट का अनुमान, 4.5% रहेगी महंगाई दर

एशियन डेवलपमेंट बैंक का इस वित्त वर्ष भारत की जीडीपी में 9% गिरावट का अनुमान, 4.5% रहेगी महंगाई दर

सेंट्रल डेस्क: भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अप्रैल-जून 2020 तिमाही में पिछले साल की तुलना में 23.9% की गिरावट आई है। इसके बाद से ही सभी संस्थाओं ने अपने आकलन में संशोधन करना शुरू कर दिया है। इसी फेहरिस्त में एशियन डेवलपमेंट बैंक ( एडीबी) ने भी भारत के इस वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद में 9% की कमी आने का पूर्वानुमान किया है। इसके पहले एडीबी ने इस अधोगति को 4% तक ही रहने का अनुमान किया था लेकिन कुछ दिन पहले आए जीडीपी के आंकड़ों के बाद उसे भी अपने आंकड़ों में संशोधन करना पड़ा।

हालांकि एडीबी के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में अगले वित्त वर्ष में मजबूती आने का अनुमान है। एडीबी की पत्रिका एशियन डेवलपमेंट आउटलुक के अनुसार भारत वित्त वर्ष 2021-22 में 8% की दर से जीडीपी में बढ़ोतरी करेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अगले वित्त वर्ष में भारत में व्यावसायिक गतिविधियां कहीं अधिक प्रबल रहेंगी।

इसके अलावा कई और संस्थाओं ने भी भारत की जीडीपी में गिरावट का पूर्वानुमान किया है। फिच रेटिंग के अनुसार भारत की जीडीपी 10.5% नीचे जाने का अनुमान है, जोकि संशोधन से पहले 5% नीचे जाने का अनुमान था। गोल्डमैन साक्स ने भी जीडीपी 14.8 प्रतिशत गिरने का अनुमान किया है जोकि पहले 11.8 प्रतिशत था।

क्या है कारण:

इस गिरावट के पीछे का सबसे बड़ा कारण है कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामले। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा के मुताबिक इस गिरावट का मुख्य कारण भारत में लगा इतना सख्त लॉकडॉउन है। इस लॉकडाउन की वजह से सारी आर्थिक गतिविधियों पर रोक लग गई थी जिससे भारत को आर्थिक दृष्टि से बहुत नुकसान हुआ है। एडीबी के अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष में बढ़ोतरी दर्ज करने के लिए भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना के रोकथाम के उपाय जैसे कि पर्याप्त टेस्टिंग, ट्रैकिंग और उपचार की व्यवस्था रोगियों को मिलती रहे। अगर भारत ऐसा करने में सफल रहता है तभी आगे के वर्षों के लिए अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने का ढांचा तैयार हो पायेगा। रेटिंग संस्था क्रिसिल ने कहा कि ‘भारत में 54% कोरोना मामले महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश से आ रहे हैं जोकि देश की जीडीपी में लगभग 36% का योगदान करते है।” साथ ही क्रिसिल ने कहा कि यह महामारी अब तेजी से महानगरों से छोटे शहरों व गांव की ओर बढ़ रही है। गांवों व छोटे शहरों में मेडिकल सुविधाएं इतनी मज़बूत नहीं हैं।

निर्माण क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। निर्माण क्षेत्र भारत कि सकल आय में लगभग 7 प्रतिशत का योगदान देता है। लॉकडाउन के समय में लगभग सभी निर्माण कार्य बंद हो गए थे जिससे इस क्षेत्र में इस वित्त वर्ष में 24 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। इस कमी के कारण केयर्स रेटिंग संस्था ने भी भारत में सकल घरेलु आय में होने वाली गिरावट में संशोधन कर 6.4 प्रतिशत से 8.2 प्रतिशत कर दिया है।

इन सब के बीच अच्छी बात ये है कि महंगाई दर में कमी आने का अनुमान है। एशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार इस वित्त वर्ष में 4.5% की महंगाई दर रहने की उम्मीद है जोकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में और कम होकर 4% पर आ सकती है। हालांकि कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने अगस्त माह तक का आंकड़ा जारी किया था जिसके अनुसार अप्रैल से अगस्त के बीच में महंगाई दर हर महीने 6.23 से 7.22 प्रतिशत के बीच दर्ज की गयी है।

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