#बिहार_विधानसभा_चुनाव_2020 में सभी राजनीतिक दल टिकट बंटवारे में

#बिहार_विधानसभा_चुनाव_2020 अपडेट#
ONE NEWS NETWORK BIHAR SAMASTIPUR.KIRAN KRI.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की सरगर्मियां प्रारंभ हो गई है सभी राजनीतिक दल फुली चुनावी मोड में आ गया है।

ऐसे में सभी दल अपने अपने पुराने समीकरण को साधने में लग गए हैं बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों के भीतर अपने अपने दलिया और जातीय समीकरण को नकारा नहीं जा सकता है और इस कड़ी में कोई भी अपना असर छोड़ने को तैयार नहीं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सभी राजनीतिक दल टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण को ही तवज्जो देने को तैयार है वैसे भी बिहार में राजनीति का ककहरा जात से शुरू होता है और जात पर ही समाप्त होता है एक दो अपवाद को छोड़ दें तो बिहार का कोई भी राजनेता अपने स्वजातिय वोटर वाले क्षेत्र को छोड़कर किसी भी नए क्षेत्र से चुनाव लड़ने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता. कोरोना व बाढ़ के बीच इस बार बिहार के सभी सीटों पर एनडीए व महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होना है. एनडीए में जदयू भाजपा लोजपा व जीतन राम मांझी की हम शामिल है. जदयू 2010 का चुनावी फार्मूला चाहता हैं जबकि भाजपा पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में मिली लीडिंग के आधार पर विधानसभा सीटों का बंटवारा चाहती है. 3 दर्जन से ज्यादा सीट है जो इस बार अदला-बदली हो सकता है. नितेश कुमार की अगुवाई में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे एनडीए के घटक दल लोजपा की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. भाजपा किसी भी कीमत पर लोजपा को आउट नहीं करना चाहती और नीतीश कुमार किसी कीमत पर लोजपा की शर्तों पर सीटों का बंटवारा नहीं होने देना चाहते. चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा बदली बदली सी है बिहार में लोजपा का जो वोट बैंक है वह निर्णायक भूमिका में है. डैमेज कंट्रोल का पूरा प्रयास भाजपा की तरफ से चल रहा है पर नीतीश कुमार चिराग पासवान के संसदीय क्षेत्र जमुई में एक भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं. जीतन राम मांझी के लिए जो सीटें मिलेंगी वह जदयू अपने कोटे से देगी. कुछ ऐसी ही सीटें होंगी जहां पर दोनों पार्टियां अपने उम्मीदवारों की अदला बदली भी कर सकती हैं. बात महागठबंधन की करें तो राजद अपने शर्तो पर अपने सहयोगी दलों कांग्रेस राष्ट्रीय लोक समता पार्टी व वीआईपी के लिए सीटों का निर्धारण करेगी. महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री का चेहरा बन चुके हैं कॉन्ग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों को यहां ज्यादातर तरजीह मिलती नहीं दिख रही है. बिहार में टिकटार्थियों के सबसे ज्यादा भीड़ राजद के पास है. इस बार राज्यात मुस्लिम यादव समीकरण से बाहर निकलकर अन्य कई जातियों को भी टिकट बंटवारे में समुचित प्रतिनिधित्व देने जा रही है इसका फायदा भी कुछ मिल सकता है बात कांग्रेस के करें तो वहां भी 4 दर्जन से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी चल रही है. उपेंद्र कुशवाहा व मुकेश साहनी को ज्यादा सीटें यहां भी मिलती नहीं दिख रही. दोनों गठबंधन ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण को ही तवज्जो दी है.

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